कविता शीर्षक – “रब ने बना दी जोड़ी”
प्यार था ये कहकर आपने बंधन तो हमसे जोड़ लिया
अब दिखावे का प्यार भला आप, किस बाज़ार से लाओगे?
साथ था सात जन्मों का और कसमें भी सात खाई थीं
बैंड और बाजे के साथ, बारात जब आपकी आई थी।
खैर, ना मान रहा उन रीतियों का इक पल में ही ठुकरा जो दिया
सताने लगे हर दिन फिर आप और ऐसे में मुस्का भी दिया।
जोड़ियां तो आखिर सारी ऊपर से ही बनती हैं
फिर उनमें से ही आखिर कुछ क्यूं बनते ही बिगड़ती हैं?
Read More : पढ़िए…. कहकशा द्वारा लिखी गई दिल को छूने वाली टॉप-10 शायरी
ना रहते फिर इंसान वो, हैवान फिर बन जाते हैं
साबित करने इसी चीज को, हैवानियत वो कर जाते हैं।
होता दहेज का लालच है जी, जो काम ये करवाए है
पैसों के आगे फिर, फिर दिख ना उन्हें कुछ पाए है।
हो जाती हद पार जब, वो एक फैसला लेते हैं
खतम करने की प्राण फिर उसके, वो झट से राज़ी होते हैं।
रब की बनाई जोड़ी फिर, क्षण में बिखर जाती है
जब पैसों के आगे फिर वो, दम तोड़ती चली जाती है।
आसान कितना होता ये, बस किसीको मारना ही तो है
ना देखना उसकी हालत हमें, क्यूंकि फिर.. बस मारना ही तो है।
मृतप्राय लड़की वो फिर, चंद यादें छोड़ चली जाती है
ऊपर से बनी जोड़ी कुछ यूं जब, झट से तोड़ दी जाती है।