Raghav Writing Solutions : कहानी शीर्षक – अंतिम निर्णय
” विवेक मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है…!”
” हां बोलो…!” उसने कहा
” मैं चाहती हूं …हम अपने बच्चे के लिए एक सेरोगेट मदर ढूंढ लें…!”
” तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है…!!”
” प्लीज विवेक… किसी को पता नहीं चलेगा…!”
” तुम क्या कह रही हो …तुम्हें पता भी है…? विवेक ने झल्लाकर कहा
” हां… मैंने डाक्टर से बात की है.. डाक्टर पर्सनली हमारे केस को हैंडल करेंगी…!”
कोई डाक्टर क्यों तुम्हारे केस को पर्सनली लेगी… और अभी ले भी लेगी …तो इन फ्यूचर.. क्या भरोसा कि वो इस बात के लिए हमें ब्लैकमेल नहीं करेगी…!!”
” क्यों कि वो मेरी दोस्त है पूजा… मैं कई दिन से इस मसले पर बात कर रही हूं विवेक… प्लीज मुझे समझने की कोशिश करो… मैं खुद को बहुत अधूरा महसूस करती हूं…!” नीता विवेक का हाथ थाम कर रो पड़ी… विवेक ने उसे अपने सीने से लगा लिया…!
” बस करो नीता…रो मत… मैं तुम्हारे आंसू बर्दाश्त नहीं कर पाता…ये सब मेरी ही गलती की वजह से हुआ…!!”
” ऐसा मत कहो… सब मेरी किस्मत….!!!” नीता अभी भी विवेक के सीने से लगी हुई थी…विवेक उसे सहला रहा था… धीरे धीरे थपकियां दे रहा था…उसे जता रहा था कि उसकी जिंदगी में बच्चा इतना आवश्यक नहीं.. जितना कि वो है…!!
हवा तेज चल रही थी…नवंबर की ठंड थी ना बहुत ज्यादा… ना बहुत कम…पर नीता..बेहद असहज लग रही थी…
आंचल को खुद से लपेटती जा रही थी.. बाल्कनी में बैठे बैठे ..घर के सामने लगे नीम के पेड़ पर चहकती शोर मचाती चिड़ियों को देखते जा रही थी…याद है उसे वो दिन आज भी…
जब हमेशा की तरह विवेक उसे डराने के लिए बाइक एकदम उसके करीब ला कर रोकता था…और वो .. वो खिलखिला कर हंस पड़ती थी…
उस दिन भी तो ऐसा ही कुछ करना चाहा था विवेक ने….!!!
शाम से ही नीता बहुत खुश थी… टेस्ट रिपोर्ट उसके हाथ में थी…बस विवेक का ऑफिस से लौटने का इंतजार था…
ढेरों चीजें बना ली थीं उसने… विवेक के पसंद की… गुलाबजामुन.. पावभाजी… आइसक्रीम वगैरा वगैरा…
सिर्फ सेलिब्रेट करना था उसे…उस पल को.. जिसका उसे महीनों से इंतजार था…
शीशे के सामने तैयार होती नीता… बुदबुदा उठी,” विवेक तुम पापा बनने वाले हो…!!” और कह कर खुद ही शरमा गई…!!
विवेक के आने का समय हो गया था… दरवाजा खोल कर वो बाहर आ गई थी… तभी सामने से आता हुआ विवेक दिखाई दिया.. वो मुस्कुराती हुई बाहर आ कर खड़ी हुई.. और हमेशा की तरह विवेक ने उसके एकदम करीब बाइक रोकनी चाही पर गलती से ब्रेक की जगह एक्सीलेटर बढ़ा दिया…
जब तक समझ पाता तब तक नीता की चीख निकल गई…
” विवेवेवेवेक्…!!!”
नीता को चौबीस घंटे बाद होश आया… तब तक उसकी दुनिया उजड़ चुकी थी… जो खबर नीता सुनाना चाहती थी उसे डाक्टर ने सुनाया…
” मिस्टर विवेक ….नीता अपना बच्चा खो चुकी है .. और मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा कि.. अब वो कभी मां नहीं बन पाएगी….!!!!”
विवेक को दिल पर हथौड़ा सा लगा… उसे चक्कर आ गया…!!
डाक्टर ने कहा,” मिस्टर विवेक.. संभालिए अपने आप को… आप को ही नीता को भी संभावना है अभी…!!!”
विवेक फूट फूट कर रो पड़ा था…!!
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तभी विवेक ने नीता को शॉल ओढाते हुए पूछा,” क्या सोच रही हो नीता…??”
कुछ नहीं.. नीता ने कहा…
विवेक ने देखा उसकी आंखों में आंसू झलक रहे थे…
विवेक ने उसके पैरों के पास बैठते हुए कहा,” ठीक है नीता… जैसा तुम चाहो… बस मैं तुम्हें खुश देखना चाहता हूं..!” और उसके गोद में सिर रख दिया…!
नीता ने उसके सिर पर अपना सिर रखते हुए कहा,” थैंक्यू विवेक… मैं कल ही पूजा से बात करती हूं..!”
नीता ने एक गरीब परिवार की लड़की को इसके लिए तैयार किया.. जो कि देखने में बहुत मासूम थी …
उसके माता-पिता को अपना खेत बचाने के लिए पैसे की जरूरत थी.. और नीता को अपनी खुशियां …!
पल्लवी नाम था उसका जो अब विवेक और नीता के घर में खुशहाली लाने वाली थी…
पल्लवी..शांत …सरल..कोमल.. कमसिन…नाज़ुक सी लड़की…!!!!
विवेक ने रिजर्वेशन करा लिया था… तीनों कुछ महीनों के लिए देहरादून उत्तराखंड आ गए…
देहरादून… बेहद खूबसूरत शहर… पहाड़ियों से घिरा… पल्लवी की तरह ही नाजुक और शांत… मौसम बेहद उम्दा..साफ स्वच्छ हवा…चारों तरफ हरियाली और खूबसूरती….!!
पल्लवी कभी अपने छोटे से गांव से बाहर नहीं निकली थी… वो बहुत मासूमियत से हर तरफ आंखें फ़ाड़ फ़ाड़ कर देखती…और खुश होती…पर वो ज्यादातर चुप रहती…!
विवेक नीता और पल्लवी के बीच एक अजीब सा तनाव व्याप्त रहता…
नीता हर संभव कोशिश में लगी रहती.. कि माहौल सामान्य हो सके.. विवेक पल्लवी से बात नहीं करता था ..वो उसके आसपास भी नहीं ठहरता था…
वहीं पल्लवी भी विवेक से थोड़ा घबराई रहती थी..उसे अच्छी तरह पता था उसे किस काम के लिए यहां लाया गया है… और इसके बाद उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल जाने वाली थी….!!!
विवेक मानसिक तौर पर खुद को तैयार करने का भरसक प्रयास करता …पर जैसे ही नीता उसके सामने आती वो अपनी भावनाएं संभाल नहीं पाता…
नीता की डाक्टर दोस्त पूजा ने भी आ कर पल्लवी और विवेक को एक साथ बैठा कर समझाया..और कुछ हिदायतें दे कर चली गई…!
पल्लवी विवेक के प्रति कुछ लगाव महसूस करने लगी थी… उसके बोल बात व्यवहार …सब उसे अच्छे लगने लगे थे…वो कनखियों से अक्सर विवेक को देखती रहती… विवेक उसके लिए किसी सपनों के राजकुमार से कम नहीं था…!
कई बार उसे इस तरह विवेक को देखते नीता ने भी देखा… पर नीता इस व्यवहार को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी… और अंदर ही अंदर घुटने लगी…
विवेक अब पहले की तरह पल्लवी से दूर नहीं भागता था… उसे भी पल्लवी का इस पास होना अच्छा लगता…ये सब बदलाव नीता अच्छी तरह महसूस कर रही थी…
वो जानती थी जब तक दोनों भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ेंगे… तब तक वो नहीं हो पाएगा जो वो चाहती है…!
पर अपने अधिकार पर किसी और का अधिकार होते देखना… और सहन करना मुश्किल हो रहा था….!!
एक दिन सुबह से ही मौसम काफी ठंडा था…बादल भी घिरे हुए थे…नीता ने शाम को खूब अच्छा खाना बनाया.. साथ ही साथ पल्लवी के कमरे को करीने से सज़ाया…
उसने आज सोच लिया था… कि विवेक को पल्लवी के कमरे में जाने के लिए राजी कर लेगी…!!
रात का खाना हो चुका था… विवेक शाल ओढ़ाकर बाहर टहल रहा था… इस बीच नीता ने पल्लवी को अच्छे से तैयार किया…और उसके कमरे में उसे बिठाया…
” पल्लवी… तुम इंतजार करो मैं अभी विवेक को भेजती हूं.. और हां घबराना मत… विवेक बहुत केयरिंग है… तुम्हारा अच्छे से ख्याल रखेगा…!” नीता ने उसे समझाते हुए कहा
पल्लवी ने जवाब में सिर्फ सिर हिला दिया… बोलती तो वो हमेशा ही कम थी….!
नीता कमरे से चली गई थी…
पल्लवी सजी संवरी.. लाज से दुहरी हुई जा रही थी.. मन के एक कोने में खुद को नई नवेली दुल्हन सा महसूस कर रही थी… इससे ज्यादा अभी दिमाग कुछ सोचना नहीं चाहता था..
बेड पर एक किनारे गठरी बनी बैठी… अपने आने वाले कल के लिए सोच रही थी… ,” क्या है उसका भविष्य..?”
नीता बाहर आई… विवेक को टहलता देख आवाज लगाई उसने…!
” विवेक… रात काफी हो गई है… और ठंड भी बढ़ रही है… अंदर आओ अब…!!!”
” हां आता हूं…!” कह कर विवेक अंदर आ गया…!!
नीता ने उसका हाथ थाम कर उसे पल्लवी के कमरे में भेजना चाहा….
” नीता… फिर सोच लो एक बार… !!” विवेक ने कहा
” सौ दफे सोच चुकी हूं… मैं बस मेरी गोद में तुम्हारा बच्चा देखना चाहती हूं…!” नीता ने भावुकता से कहा…!!
विवेक ने उसके सिर पर हाथ रखा… और उसे उसके कमरे में ला कर लिटाया… उसका माथा चूम कर कमरे से बाहर निकल गया…!!!
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नीता ने आंखें बंद कर लीं… पर आंसुओं को बहने से ना रोक पाई…!
विवेक ने पल्लवी के कमरे में कदम रखा… पल्लवी उठ कर खड़ी हो गई…विवेक ने दरवाजा बंद कर दिया….
धड़कनें दोनों की तेज हो चुकी थीं….!!
विवेक ने बेड पर एक तरफ बैठते हुए पल्लवी से कहा,” तुम भी बैठ जाओ पल्लवी…!!”
पल्लवी सहमी सी बैठ गई…!
” तुम जानती हो कि तुम्हारा हमारे साथ रहने का मकसद क्या है…?” विवेक ने पूछा
” जी…!”
” फिर भी तुम तैयार हो…?” विवेक ने आश्चर्य से पूछा
” मां पिताजी के लिए… हमारी जमीनें चलीं गईं .. तो हम भूख से मर जाएंगे…!!” उसके चेहरे पर दर्द उभर आया…!!!
” तुम्हारे घर में कौन कौन है..?”
” मां पिताजी, एक भाई और एक बहन.. हम पांच लोग हैं…!” उसने सहजता से कहा
” तुम बहुत प्यारी हो पल्लवी… बिल्कुल बच्ची जैसी…!” विवेक ने उसके सिर पर हाथ रखा उसने सिर झुका लिया … और एक अपनेपन की डोर से बंध गए दोनों…!
विवेक ने कहा,” रात काफी हो गई है पल्लवी… सो जाओ…!”
पल्लवी को लिटा कर ..रजाई ओढ़ा कर.. विवेक कमरे से बाहर निकल आया…!!!
नीता ने सुबह जब विवेक को बैठक में सोते देखा तो तुरन्त पल्लवी के कमरे में गई… पल्लवी निश्चिंत हो रही थी…!!
नीता ने खीझ कर पल्लवी की रजाई खींची ,” पल्लवी विवेक बाहर क्यों सो रहा….?”
पल्लवी सहमी गई थी,” पता नहीं मुझे…!!
” रात में वो तुम्हारे साथ था कि…. !”इससे पहले कुछ बोलती पल्लवी ने सिर ना में हिला दिया…!
” ओ शिट्… मेरी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया तुम दोनों ने… !” कहते हुए नीता कमरे से बाहर चली गई…
नीता की तेज आवाज से विवेक भी जाग गया था… और उसे समझते देर नहीं लगी थी कि नीता की नाराज़गी की वजह क्या है…!
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विवेक ने पल्लवी को आवाज लगाई,” पल्लवी जरा चाय ले आना…!”
विवेक का इस तरह से पल्लवी को बुलाना सुनकर नीता को अजीब लगा… पर उसने कुछ कहा नहीं…!
पल्लवी ने बड़े मन से चाय बना कर विवेक को दी…
विवेक ने कहा,” अपने और नीता के लिए भी ले आओ… !”
तीनों एक साथ बैठ कर चाय पी रहे थे.. पर तीनों के मन में एक द्वंद्व छिड़ा हुआ था…जिसे तीनों समझ रहे थे…!
पल्लवी उठ कर अंदर आ गई..
विवेक ने बिना नीता की तरफ देखे कहा,” तुम्हें पल्लवी के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए..!”
नीता ने कुछ नहीं कहा.. चुपचाप सुनती रही..!
विवेक भी उठ कर अंदर चला आया… नीता खुद को बहुत असहाय महसूस कर रही थी… उसे लगा था सब कितना आसान है… पर सब कितना मुश्किल है.. उसे अब समझ आ रहा था…!
नीता मां बनना चाहती थी.. पर विवेक को किसी और के साथ बांटना .. उसके लिए..अपने हाथों से अपने कलेजे पर हथौड़ा मारने जैसा था… उस पर विवेक का पल्लवी की तरफ झुकाव उसे अंदर तक ज़ख्मी किए दे रहा था… और वो विवेक पर कोई आरोप भी नहीं लगा सकती थी.. क्योंकि कि ये सब उसी का किया हुआ था…!!!
पल्लवी सिर झुकाए अपना काम कर रही थी… विवेक अपने कमरे में बैठा उसे यहां वहां आते जाते देख रहा था.. उसे भी पल्लवी की तरफ खिंचाव महसूस हो रहा था… ये प्यार था.. या सिर्फ उसकी जरूरत… बस इतना समझना बाकी था…!!
पल्लवी की सरलता और शालीनता उसे अपनी तरफ खींच रही थी… उसका बचपना उसकी निश्छल मुस्कान उसे सम्मोहित कर रही थी… एक लम्बी सी सांस ले कर उसने आंखें बंद कर लीं..!
एग्रीमेंट के हिसाब से… पल्लवी साल भर के लिए नीता और विवेक के साथ रहने वाली थी ..अगर बच्चा होता है ..तो नीता उसे ले लेगी… अगर किसी वजह से कोई दुर्घटना होती है.. और बच्चा खराब हो जाता है.. तो उसकी जिम्मेदारी पल्लवी की नहीं होगी… साल भर अपने पास रखने और एक बच्चे के लिए जितना पैसा देना है उसका पूरा भुगतान पहले ही करना होगा… पल्लवी की पूरी देखभाल की जिम्मेदारी नीता पर थी…
समय बीतता जा रहा था… पल्लवी और विवेक के दिलों की नजदीकियां बढ़ती जा रही थीं.. बजाए इसके कि उनमें रिश्ता कायम होता… और नीता की बच्चा पाने की ख्वाहिश पूरी होती…
पल्लवी विवेक के आसपास होने से उमंग में भर उठती और विवेक उसके आसपास रहने का बहाना ढूंढता… इस सब में नीता उपेक्षित महसूस करती… और अंदर ही अंदर घुटती रहती…
पल्लवी से उसे कोई शिकायत नहीं थी..पर विवेक का व्यवहार उसे अंदर ही अंदर तोड़ रहा था…
विवेक पल्लवी को अपने दिल के करीब महसूस करने लगा था..वो कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहता था जो उसे पल्लवी की नजरों में गिरा देता…
एक शाम पल्लवी और विवेक टहलने निकले…
विवेक ने नीता से पूछा ,” नीता तुम भी साथ में चलोगी..?”
नीता ने ना में सिर हिला दिया…मन ही मन बुदबुदा उठी,” अगर ले चलना होता.. तो तुम पूछते नहीं विवेक…!” मन मसोस कर रह गई…!”
अभी उसके आंखों के आंसू सूखे भी नहीं थे.. कि विवेक पल्लवी को बाहों में उठाए वापस आ गया… उसे देख घबरा तो नीता भी गई…
उसने पूछा,” अरे क्या हुआ पल्लवी को..?”
” ज्यादा कुछ नहीं… बस पैरों में मोच आ गई है… मैं मूव लगा देता हूं…!” कह कर विवेक पल्लवी के कमरे में चला गया…!
रात का खाना नीता ने अकेले बैठ कर खाया… विवेक ने पल्लवी को अपने हाथों से खाना खिलाया…
उस रात विवेक ने पल्लवी के दर्द को अपनी आत्मा में महसूस किया… उसने उसे एक पल के लिए भी नहीं छोड़ा…!
पल्लवी ने कहा,” आप अब सो जाइए… पहले ही मेरी वजह से शाम से परेशान हो रहे हैं…!”
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विवेक ने उसके माथे को चूमते हुए कहा,” पल्लवी.. तुमसे मिलने से पहले… मुझे एहसास ही नहीं था कि प्यार किसे कहते हैं.. तुम्हारे लिए जो मैं महसूस करता हूं वो अभी तक मैंने किसी के लिए महसूस नहीं किया…!!” इतना कह कर चुप हो गया…
पल्लवी ने कहा,”और ..?”
” और सच में मैं तुम्हें बहुत चाहने लगा हूं…. तुम्हारे बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता…!!”विवेक ने बहुत गंभीरता से कहा
पल्लवी की आंखों में आंसू आ गए…वो भी विवेक को चाहने लगी थी …पर उसे पता था… उसके पास थोड़ा ही समय और बचा है…फिर उसे विवेक की जिंदगी से दूर जाना पड़ेगा…!!
विवेक ने उसके आंसू पोंछे और उसे अपने सीने से लगा लिया… पल्लवी एक छोटे से मासूम बच्चे की तरह उसके सीने में छुप गई…
नीता को अंदर ही अंदर महसूस हो रहा था.. कि उसने जो निर्णय लिया वो सही नहीं था… और सबसे ज्यादा नुकसान उसी का हुआ…
देखते देखते दिसंबर खत्म होने को आया और छुटियां भी… लगभग दो महीने की छुट्टियां देखते देखते बीत गईं…एक सप्ताह और बस…
विवेक पल्लवी को एक पल के लिए भी छोड़ना नहीं चाहता था… वहीं नीता की चुप्पी उसे खलने लगी थी…पर पल्लवी के प्रति प्रेम ज्यादा भारी था.. शायद इसी वजह से उसने नीता से इस विषय पर बात करने की कोशिश ही नहीं की…!
छुट्टियां खत्म होने के बाद विवेक को आफिस ज्वाइन करना था… पर नीता और पल्लवी यहीं रहते… विवेक छुटि्टयों में यहां आता रहता… यही प्लान था…पर विवेक छुट्टियां खत्म होने को लेकर बहुत परेशान था… वो ज्यादा से ज्यादा समय पल्लवी के साथ बिताने लगा… दोनों एक दूसरे से दूर नहीं जाना चाहते थे..
पल्लवी जितना गहराई से विवेक को महसूस करना चाहती थी… विवेक उतना ही पल्लवी में डूब जाना चाहता था….!!
नीता..अब दोनों से दूर जाना चाहती थी… हर समय की घुटन उसे धीरे-धीरे खोखला करते जा रही थी…
एक शाम चाय के बाद… वो अकेली ही टहलने निकल गई…
रास्ते में झाड़ियों के पास उसे एक बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी.. नीता भागते हुए उसके पास गई.. एक तौलिया में लिपटी… एक नन्ही सी बच्ची… जी जान से रोने में लगी थी..
नीता ने उसे जल्दी से उठा कर सीने से लगा लिया… बच्ची गोद का सहारा पा कर चुप हो गई…
नीता उसे ले कर पास के पुलिस स्टेशन पर गई…वहां थाना इंचार्ज से मिल कर उसने बात की …
थाना इंचार्ज ने कहा,” मैडम आप अपना पता लिखा दीजिए…बाकी आप बेफिक्र रहिए… कोई क्लेम करने नहीं आएगा… कोई होता ही क्लेम के लिए.. तो इस नवजात को इस तरह झाड़ियों के हवाले ना किया गया होता… इसकी किस्मत अच्छी थी कि इसे आप मिल गईं…आप निश्चिंत हो कर जाइए…!!”
नीता खुशी से फूली नहीं समा रही थी… बच्ची भी उसकी गोद पा कर चुप थी…!!
नीता ने घर के अंदर कदम रखा ही था… कि बच्ची ने रोना शुरू कर दिया…!
विवेक और पल्लवी भाग कर बाहर आए… कि छोटी बच्ची के रोने की आवाज कहां से आ रही है…!
नीता की गोद में छोटी सी बच्ची को देखकर विवेक ने प्रश्नवाचक लहजे में पूछा,” ये कौन है..? कहां से आई ..?”
नीता ने जवाब दिया,” मैं जब घूमने जा रही थी ..तो ये मुझे झाड़ियों के पीछे मिली…!”
विवेक ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा,” किसी ने अपना पाप छिपाने के लिए झाड़ियों में डाल दिया… और तुम उसे आंचल में समेट लाई …???”
नीता चीख पड़ी,” विवेक…! ये छोटी बच्ची है… ये किसी का पुण्य और पाप नहीं हो सकती… एक नन्ही सी जान है..!!”
” तो तुम इसे क्यों लेकर आई…!” विवेक भी चीखा
” मैं इसे.. इस तरह वहां मरने के लिए नहीं छोड़ सकती.. बिल्कुल नहीं छोड़ सकती… और तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है… मैंने पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा कर अपना पता और फोन नंबर दे दिया है… अगर कोई लेना चाहेगा जो… इस बच्ची का रिश्तेदार होगा… तो वो ले जाएगा..!” नीता ने एक सांस में कहा
” लेकिन मैं …इस नाजायज को अपने घर पर नहीं रख सकता…!” विवेक ने चीख कर कहा
” पर मैं इसे मरने के लिए नहीं छोड़ सकती…!” नीता ने उस बच्ची को सीने से लगा लिया…!!
पल्लवी सकते में थी…अब उसका क्या होगा…?
विवेक अपने कमरे में चला गया और नीता अपने कमरे में… पल्लवी को कुछ सूझ नहीं रहा था कि वो क्या करे..!
वो थमें क़दमों से नीता के कमरे में आई…
नीता बच्ची को बोतल से दूध पिला रही थी…
नीता ने बिना उसकी तरफ देखे कहा,” आओ पल्लवी.. बैठो.. तुम परेशान मत हो.. मैंने इस बच्ची को गोद लिया है इसका मतलब ये नही कि मैं तुम्हारे साथ कोई अन्याय करूंगी… तुम मेरी जिम्मेदारी हो… तुम्हारा सुख दुःख मेरी जिम्मेदारी है.. मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ हूं…!!”
पल्लवी रो पड़ी,” मैं तो घबरा गई थी दीदी…!!”
” तुम निश्चिंत रहो.. !” नीता ने उसे तसल्ली दी.. ,” और हां.. बच्ची सो रही है …इसका ध्यान रखना… मैं जरा कुछ जरुरी सामान ले आऊं इसके लिए… पैसे थे नहीं देने को.. तो कह सुन कर दूध की बोतल ला पाई थी.. उसका भी पैसा देना है…!!”
” ठीक है दी…!” पल्लवी ने कहा
नीता चली गई थी…
विवेक ने पल्लवी को बुलाया… ,” तुम्हें उस बच्ची को संभालने की कोई जरूरत नहीं..!”
” नहीं …वो मासूम बच्ची तो कुछ जानती भी नहीं.. उसे तो ऐसी सजा मत दीजिए.. क्या आपको बच्ची इस तरह पड़ी दिखती… तो आप उसे सड़क पर मरने के लिए छोड़ आते….???” पल्लवी ने प्रश्न किया
विवेक ने कोई जवाब नहीं दिया….!
तकरीबन एक घंटे बाद नीता बाजार से ढेर सारी चीजें ले कर लौटी..आज वो बहुत खुश लग रही थी… उसकी सारी परेशानी दूर हो गई थी …उसे बहुत कुछ करना था… और कुछ नहीं तो इस मासूम के लिए जीना था… रास्ते भर उसके लिए नाम सोचते आई…
घर पर बच्ची के रोने की आवाज आ रही थी….
नीता भागती हुई बच्ची के पास आई… पल्लवी विवेक के साथ उसके कमरे में थी….
नीता को बहुत गुस्सा आया… उसी गुस्से में उसने पल्लवी को आवाज लगाई….
” पल्लवी… तुमको मैंने बच्ची को देखने के लिए कहा था…?”
विवेक ने कमरे से बाहर निकल कर कहा,” पल्लवी तुम्हारी नौकरानी नहीं है… जो वो तुम्हारी बच्ची को संभालेगी… तुम्हें इस तरह पल्लवी पर चिल्लाने का कोई हक नहीं है…!!”
नीता आश्चर्य से बोली,” मुझे हक नहीं है…? मुझे हक नहीं है कि मैं पल्लवी से कुछ कह सकूं…? मुझे…? तुम भूल रहे हो विवेक …उसे मैं ही घर ले कर आई थी….!!!”
” हां जानता हूं …तुम ही लेकर आई थीं… लेकिन तब तुमने ये नहीं कहा था …कि तुम इस तरह किसी की नाजायज औलाद को भी घर लेकर आ जाओगी…!”
” विवेक… कैसी घटिया सोच है तुम्हारी…. तुम इस तरह सोचोगे मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था …???”
” हां… मैं ऐसा ही हूं …और ये बात तुम जितना अच्छी तरह समझ सकती हो आज ही समझ लो… मैं तुम्हारे इस निर्णय के साथ नहीं रह सकता …!!” विवेक ने अपना फैसला सुनाया
” किस निर्णय के साथ नहीं रह सकते विवेक…?” उसने फिर पूछा
” यही कि तुम इस बच्चे को घर में रखो …!” विवेक ने सपाट लहजे में कहा
” मतलब …मैं पल्लवी को घर में रखूं तो तुम्हें कोई दिक्कत नहीं… क्योंकि वो तुम्हारे लिए है… उसमें तुम्हारा फायदा है …पर मैं किसी नवजात बच्ची को घर में रखूं तो उससे तुम्हें दिक्कत है…!!” नीता ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा
” हां… मुझे दिक्कत है …मैं किसी की नाजायज औलाद को अपने घर में नहीं पालने दे सकता …तुम्हें आज ही फैसला करना होगा …या तो तुम्हें इस बच्ची को रखना है ..
या तो तुम्हें मेरे साथ रहना है… रात भर का समय तुम्हें दे रहा हूं सोचने के लिए…!!!” विवेक ने अंतिम फैसला सुनाया
” इस बच्ची को पालने के लिए मुझे इतना समय लेने की जरूरत नहीं है विवेक…. मैं इस बच्ची को कहीं मरने के लिए छोड़ नहीं सकती ….तुम तुम्हारी दुनिया में खुश रहो …मैं इस बच्ची को लेकर अभी ….इसी वक्त घर छोड़ रही हूं ….!” नीता ने कहा
विवेक ने कहा,” जैसी तुम्हारी मर्जी …!” और वो वापस कमरे में आ गया
पल्लवी हैरान-परेशान कभी विवेक की तरफ दो कदम बढ़ाती… तो कभी नीता की तरफ ….!
नीता ने पल्लवी के चेहरे पर उलझन देखी …उससे रहा नहीं गया… उसने आगे बढ़कर पल्लवी को गले से लगा लिया …और उसका माथा चूमते हुए कहा,” पल्लवी …मैं विवेक को तलाक दे दूंगी …तुम विवेक से शादी कर लो…!”
विवेक ने तभी कमरे से बाहर निकलते हुए कहा,” तुम्हें सलाह देने की जरूरत नहीं… कि हमें क्या करना है.. तुम्हें क्या करना है वो तुम व देखो… तलाक के पेपर में तुम्हें जल्दी ही भिजवा दूंगा…!!!”
नीता के दिल को बहुत ठेस पहुंची … ये आखिरी वाक्य उसे भीतर तक तोड़ते चला गया….!!!
अब और कुछ कहने सुनने की गुंजाइश नहीं बची थी .. उसने अपना सामान समेटा और बच्ची को गोद में उठाया और निकल पड़ी… एक नई जिंदगी की शुरुआत के लिए… ..!!!
समाप्त
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– नीतू सिंह ‘सर्वाधिकार सुरक्षित’
नीता ने बिलकुल सही निर्णय लिया… अफसोस तो विवेक जैसे पुरुषों की मानसिकता पर होता है….