गीत शीर्षक – वन्देमातरम
वन्देमातरम वन्देमातरम वन्देमातरम वन्देमातरम।
इसे समझ लो एक मंत्र।
है शक्तिमान एक दम स्वतन्त्र।।
अपने उद्गम काल में जिसने।
हिला दिया था राजतंत्र।।
इसमें अविरल शक्ति समाई।
दृढ़ता पाता एक धरम।।
वन्देमातरम वन्देमातरम….
जिसके शासन क्षेत्र में सुनते,
सूर्य अस्त नहि होता था।
सात समंदर पार बैठ कर,
राज्य शक्ति संजोता था।।
हिला दिया था सिंघासन,
हुंकार उठे थे कुछ युवजन।
वन्देमातरम वन्देमातरम…..
आओ मिलकर करें वन्दना,
भारत माँ की आज़ पुनः।
फिर से जाग्रत करें चंडिका,
की ज्वाला को शनै:शनै:।।
फिर से हो आसीन देश में,
सत्य सनातन आर्य धरम।
वन्देमातरम वन्देमातरम…..
आज दीप का वरण करें,
जो दे प्रकाश अविरल अखण्ड।
धार शारदे की हो जिसमें,
कर कपाल और कालदण्ड।।
हो तड़ित तड़क भयभीत शत्रु,
थर थर कांपे शरण आगतम्।
वन्देमातरम वन्देमातरम….