Raghav Writing Solutions Competition पढ़िए….. राष्ट्रीय साहित्य प्रतियोगिता 2022 की प्रतिभागी “कल्पना शर्मा” द्वारा लिखित कहानी……!

पढ़िए….. राष्ट्रीय साहित्य प्रतियोगिता 2022 की प्रतिभागी “कल्पना शर्मा” द्वारा लिखित कहानी……!


कल्पना शर्मा kalpana sharma raghav writing solutions

सब्ज़ी का बैग टेबल पर रखते हुए रेखा ने अपने पति से बोला “सुनो मुझे यहाँ नही रहना।” “सब्ज़ी बाले ने धनिया नही दिया क्या फ़्री में?” रेखा के पति ने अख़बार पढ़ते पढ़ते बोला ।

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“मैं मज़ाक़ नही कर रही हूँ सुरेश,” रेखा ने ग़ुस्से में बोला । “क्या हुआ” सुरेश ने पूछा । “अरे अम्मा मुझे हर चीज़ पर रोकती टोकती रहती है।अब सुबह सुबह मैं तैयार होकर जाऊँ क्या सब्ज़ी लेने .. सबके सामने मुझे बोल दिया थोड़ा श्रिंगार तो कर लेती .. और खुद ऐसी लग रही थी जैसे दो दिन से बाल भी नही बनाए होंगे। तुम ही बताओ अम्मा को ये बोलने की क्या जरूरत थी।” “मज़ाक़ में बोल दिया होगा” सुरेश ने बोला ।

“पर मैं मज़ाक़ नही कर रही हूँ तुम दूसरा मकान देखो .. अम्मा के घर से जो खाना पकाने की महक आती है मैं उस से भी परेशान हो गयी हूँ, पता नही कौन से मसाले डालती हैं मेरा पूरा घर उसी महक से भर जाता है पिछली बार जब तुम्हारे माँ बाबा आए थे वो कितना परेशान हो गए थे याद है ?और नीतू के ससुराल वाले भी तो पूछ रहे थे बग़ल में कौन रहता है ?” “रेखा तुम्हें ये सब तो याद है और ये याद नही जब हम दोनो के घर वालों ने हमारी शादी को मानने से इनकार कर दिया था .. और हमें घर के अंदर तक नही आने दिया , हमारे पास कोई ठिकाना तक नही था, तब यहीं अम्मा थी जिसने हमें बिना जातिपात का भेद किए सहारा दिया था और तुम्हें तो माँ का प्यार भी दिया जब नीतू हुई थी घर से कोई देखने तक नही आया था अम्मा ही थी जो तुम्हारे साथ थी ,मै तो काम पर चला जाता था|

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नीतू की मालिश , तुम्हारी देखभाल सब अम्मा ने अपने ज़िम्मे ले लिया था ..”सुरेश के जवाब ने रेखा को बीते हुए 25साल याद दिला दिए.. जब वो पहली बार अम्मा से मिली थी वो बालों पर फूलों का गजरा , माथे पर बड़ी सी बिन्दी और वो हरे बॉर्डर की साड़ी में अम्मा हेमा मालिनी से कम नही लग रही थी .. और मैं डरी सहमी सी सुरेश के पीछे खड़ी थी । अम्मा ने सुरेश को उपर वाले कमरे की चाबी दी .. और मुझे अपने साथ घर के अंदर ले गयी.., अम्मा ने मुझे देख के कहा “थोड़ा श्रिंगार तो कर ले .. श्रिंगार औरत का गहना होता है” और जो गजरा खुद लगाया था वही मुझे लगा दिया .. फिर मेरा ग्रहप्रवेश कराया ..और आज भी तो अम्मा ने यही बोला था की थोड़ा श्रिंगार तो कर ले , फिर मैं इतना नाराज़ कैसे हो गयी । रेखा ने फटाफट थोड़ा मेकप किया और अम्मा के लिए चाय ले कर गयी .. अम्मा रेखा को देखकर फिर बोली “अरे कितनी बार कहा तुझको गजरा लगाया कर अच्छी लगती है”, गमले से एक फूल तोड़कर अम्मा ने अपने काँपते हुए हाथों से रेखा के बालों में लगा दिया । रेखा मुस्करारही थी और अम्मा चाय पी रही थी ।

कल्पना शर्मा (kalpana sharma)

Disclaimer : उपरोक्त कहानी लेखिका “कल्पना शर्मा” द्वारा लिखी गई है, जिसके लिए वह पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। हमें आशा है कि आपको यह कहानी पसंद आएगी। कृपया हमें कमेंट करके अवश्य बताएं कि आपको यह कहानी कैसी लगी….!

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