Raghav Writing Solutions Poetry,Competition राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव प्रतियोगिता 2023 की  प्रतिभागी “श्रीमती कमला उनियाल ” द्वारा लिखित कविता  ” नमन धरा के अमर सपूतों…. “

राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव प्रतियोगिता 2023 की  प्रतिभागी “श्रीमती कमला उनियाल ” द्वारा लिखित कविता  ” नमन धरा के अमर सपूतों…. “


नमन धरा के अमर सपूतों Kamla uniyal

 कविता शीर्षक – नमन धरा के अमर सपूतों

नमन धरा के अमर सपूतों,

Raghav Writing Solutions : Eminent Developer

जन-जन कर सलाम तुम्हें।

धन्य वो माँ है धन्य वो माटी,

कमला करे प्रणाम तुम्हें।।

लहराता जब अमर तिरंगा,

अंबर तक संदेश यही।

भारत ही वह दिव्य धरा है,

जन्में हैं जहाँ वीर कई।।

माँ की ममता को भी जिन्होंने,

मातृभूमि पर वार दिया।

परतंत्र की तोड़ बेड़ियां,

भारत को आजाद किया।।

भगत सिंह सुखदेव राजगुरू,

जैसे भी कुछ वीर हुए।

हंस के झूल गए जो फांसी,

दुश्मन भौंचक्के घूर रहे।।

नमन धरा के अमर सपूतों,

जन जन कर सलाम तुम्हें।

धन्य वो माँ है धन्य वो माटी,

कमला करे प्रणाम तुम्हें।।

शत्रु के घर में घुसकर ही जो,

दुश्मन को ललकार गया।

जिसने दुश्मन को ललकारा,

बम से आखिर में वार किया।।

आजादी का वीर बांकुरा,

रक्त देशहित ले रहा उबाल।

खुद को किया आजाद रुह से,

नहीं झुकाया उसने भाल।।

लाखों भीड़ निर्दोषों को कुचला,

गोरों के डायर पापी ने।

धरती मां रो रही कराहती,

ढोती लाशें अपनों की।।

लाठी अत्याचारी खाकर,

लालाजी को आघात लगा।

जन-जन का आक्रोश बढ़ा,

हर ओर क्रांति का बिगुल बजा।।

नमन धरा के अमर सपूतों,

जन जन कर सलाम तुम्हें।

धन्य वो माँ है धन्य वो माटी,

कमला करे प्रणाम तुम्हें।।

गौरव हो तुम इस धरती के,

धरती का अभिमान तुम्हीं।

सदा अमर जन-जन के मन में,

भारत का गौरवगान तुम्हीं।।

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रहे नाम बेनाम हजारों,

जो नींव रहे आजादी के।

शीश झुकाकर नमन करूं मैं,

वीरों की माँ और माटी को।।

किया रक्त के लिए आह्वान,

बोस रहे जन-जन को पुकार।

नेताजी के शौर्य त्याग का,

ऋणी रहेगा हिंदुस्तान।।

कोड़ों की हर वार मार पर जो,

भारत का गुणगान करें।

धन्य धरा है धन्य ओ माई,

जिस घर ऐसे लाल पले।।

नमन धरा के अमर सपूतों,

जन जन कर सलाम तुम्हे।

धन्य वो माँ है धन्य ओ माटी,

कमला करे प्रणाम तुम्हे।।

दुश्मन के हथकंडे कुछ जो,

हद तक तो कामयाब रहे।

लेकिन शूर वीर बसुधा के,

बेटों के आगे सब बेकार गए ।।

ना जाने कितनी ही मांओ ने,

अपनी गोदी के लाल दिए।

ना जाने कितनी मांओ ने,

अपना सुहाग सिर भाल दिए।।

नमन धरा के अमर सपूतों,

जन जन कर सलाम तुम्हे।

धन्य वो माँ है धन्य ओ माटी,

कमला करे प्रणाम तुम्हे।।

@सर्वाधिकार सुरक्षित

कमला उनियाल श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड

अस्वीकृति :- उपरोक्त कविता “श्रीमती कमला उनियाल” द्वारा लिखित है, जिसके लिए वह पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। किसी भी प्रकार की साहित्यिक चोरी के लिए संस्था एवं पदाधिकारी का कोई दोष नहीं हैं। हमारा प्रिय पाठकों से अनुरोध है कि कृप्या हमें कमेंट करके अवश्य बताएं कि आपको यह रचना कैसी लगी।

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