कविता शीर्षक – ईश्वर की संतान
ईश्वर की संतान है ये
दुनिया इनकी न्यारी है
दिन-रात परिश्रम ये करते
कभी ना हिम्मत हारी है l
मत समझो मजबूर इन्हें
ये भी समाज का हिस्सा है
इनके अंदर भी दिल है
अलग ही इनका किस्सा है l
नृत्य और गायन इनका पेशा
और भी हुनर आते हैं
देख कर इनकी कला को
हम चकित रह जाते हैं l
सरकार ने पहचान दी इनको
ये भी पढ़ लिख सकते हैं
विद्या धन मिल जाने पर
ये कुछ भी कर सकते हैं l
आशीशों से भरी है झोली
बड़ी मस्त है इनकी टोली
भूमिका इनकी नर और नारी
नहीं कभी भी हिम्मत हारी l
इनके मुख से निकल दुआएं
कभी न खाली जाती है
जो भी इनकी मदद है करता
उसकी किस्मत बन जाती है l
ईश्वर की संतान है ये
दुनिया इनकी न्यारी है…..l