Raghav Writing Solutions Poetry,Competition पढ़िए…. राष्ट्रीय साहित्य प्रतियोगिता 2022 के प्रतिभागी “निखिल घावरे” द्वारा लिखित कविता “छोड़कर घर जाना होगा….”

पढ़िए…. राष्ट्रीय साहित्य प्रतियोगिता 2022 के प्रतिभागी “निखिल घावरे” द्वारा लिखित कविता “छोड़कर घर जाना होगा….”


छोड़कर घर जाना होगा nikhil ghavre raghav writing solutions

कविता शीर्षक – छोड़कर घर जाना होगा….

ताउम्र एक रिश्ते में बंध जाना होगा,
कल से मेरा एक नया ठिकाना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

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जिस घर में पली बड़ी थी कभी,
वो घर मेरे लिए अब बेगाना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

होंगें नए रिश्ते नए नाते परिवार नया,
हर रिश्ते को दिल से निभाना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

जो घर मेरा कभी था ही नहीं,
मुझे उसको अपना घर बनाना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दियाव वचन निभाना होगा।।

नई गृहस्थी में होंगें उतार चढ़ाव कई,
हर किसी की पसंद नापसंद को अपनाना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

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जिन्होंने मुझे जन्म दे इतना बड़ा किया,
उनसे भी मिलने इज़ाज़त लेकर आना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

वो हर बात जो दिल को चुभेगी मेरे,
मुझे उस बात को सबसे छुपाना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

पहले अपने हिसाब से ज़िंदगी को जिया,
अब उनके हिसाब से ज़िंदगी बिताना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

बिना बताये दोस्तों के साथ घुमा मैंने,
अब हर बात को उनको बताना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

हर छोटी चीज़ की ज़िद करती थी,
उस ज़िद पर मुझे लग़ाम लगाना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

मम्मी पापा से हर एक शिकायत करी,
अब हर बात चुपचाप सह जाना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

दोनों घर की इज़्ज़त मेरी इज़्ज़त होगी,
दोनों घर की मर्यादा को निभाना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

कभी आएंगे मेरे घरवाले मिलने मुझसे,
सभी से मुझे अपने आँसु छिपाना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

जो पूछेगा कभी कोई मेरा हाल मुझसे,
“मैं ठीक हूँ” इतना ही बताना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

भूल कर मेरी वो हर तमाम खुशियाँ,
मुझे दूसरों की खुशियों को सजाना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

रोकेंगे जब प्यार से मुझे मेरे घरवाले,
मेरे पास ना रुकने का कोई बहाना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

“निक्क” वो घर कभी मेरा ना हो सकेगा,
जिस घर में मुझे एक उम्र बिताना होगा।
छोड़ कर इस घर को जाना होगा,
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा।।

निखिल घावरे (nikhil ghavre)

Disclaimer : उपरोक्त कविता लेखक “निखिल घावरे” द्वारा लिखी गई है, जिसके लिए वह पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं। हमें आशा है कि आपको यह कविता पसंद आएगी। कृपया हमें कमेंट करके अवश्य बताएं कि आपको यह कविता कैसी लगी….!

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