कविता शीर्षक – माँ…!
ममता और त्याग कि मूरत होती है माँ ,
इंसान के रूप में भगवान का स्वरूप होती है माँ ।
अपने बच्चे को सुलाने के लिए ,ख़ुद कि नींद खोती हैं मॉं ।
ममता और त्याग कि मूरत होती हैं माँ ।
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दुनिया बहुत बड़ी है भगवान की ,
पर , एक बच्चे की पहली दुनिया होती है माँ ।
अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य के सपने संजोती है माँ ,
हर बच्चे की पहली दोस्त होती है माँ ।
ममता और त्याग कि मूरत होती है माँ ,
इंसान के रूप में भगवान का स्वरूप होती है माँ ।