कविता शीर्षक – भारत की सौंधी मिट्टी…
भारत की सौंधी मिट्टी की खुशबू जैसे चन्दन है
तुम्ही बताओ वंदे मातरम से बढ़कर कोई वंदन है
बढ़ने कभी नहीं देंगे हम भेदभाव के दंगे को
झुकने कभी नहीं देंगे अपने अभिमान तिरंगे को
डटे रहो सेना पर वीरों तुम भारत पर पहरा दो
एक तरफ भगवा तो दूजी और तिरंगा लहरा दो
देश पे मर मिटने वाले वीरो का तुम यशगान करो
राजगुरु सुखदेव भगतसिंह का तुम भी सम्मान करो
मातृभूमि के मुक्तिजाप राणा प्रताप को याद करो
हल्दी घाटी में गूंज रही चेतक की टाप को याद करो
चूड़ी वाले हाथो ने जब अपना हथियार उठाया था
तब कहीं तिरंगा लालकिले के गुम्बद पर लहराया था
तुम याद करो उस देवमुनि तुलजा भवानी लाल को
राष्ट्र गुण गौरव शिवाजी शान ऐ मुगल उस काल को
राष्ट्रवाद के साथ खड़े उस सावरकर को याद करो
स्वाभिमानी उस कालकोठरी में बंद तेवर को याद करो|