Raghav Writing Solutions Poetry,Competition Raghav Writing Solutions : राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव प्रतियोगिता 2023 की प्रतिभागी “श्रीमती ऋतु दीक्षित” द्वारा रचित कविता “वन्दे मातरम… “

Raghav Writing Solutions : राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव प्रतियोगिता 2023 की प्रतिभागी “श्रीमती ऋतु दीक्षित” द्वारा रचित कविता “वन्दे मातरम… “


Raghav Writing Solutions : राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव प्रतियोगिता 2023 की प्रतिभागी "श्रीमती ऋतु दीक्षित" द्वारा रचित कविता "वन्दे मातरम... "

Raghav Writing Solutions : कविता शीर्षक – वन्दे मातरम्

वंदे मातरम्

Raghav Writing Solutions : Eminent Developer

सासों की माला है जब-तक

सासों में जब-तक है दम |

सिंधु – सुरसरि की भूमि में

जपे मन – वंदे मातरम् , वंदे मातरम् ||

वंदे मातरम् का अर्थ यही है,

“माता मैं करता वंदन तुम्हारा” |

राष्ट्रीय स्वतंत्रता का सूचक है ये

वंदे मातरम् गीत हमारा ||

समय था जब स्वतंत्रता का

बलिदानी में संचार किया था |

देश भक्ति और शक्ति को

लोगों ने स्वीकार किया था ||

वंदे मातरम् के “दो शब्दों” ने

देश भक्तों में प्राण फूंक दिये थे |

भड़की “दो शब्द “ज्वाला बनकर

गोरो की राहें रोक दिये थे ||

स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों का

यह गीत पवित्र मंत्र बना |

मातृ -भूमि को सुजलाम् -सुफलाम्

बनाने का एकतंत्र बना ||

भारत का नया संविधान बना

वंदे मातरम् शान बना  |

गीत जो बना प्रेरणा का श्रोत

कालजयी एक गीत बना  ||

राष्ट्रीय चिन्ह का गौरव बढ़ाया

देश के लोगों ने इसे अपनाया |

देश को दिया आत्मसम्मान

यह गीत बना देश की शान ||

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में

गाया गया ये गीत प्रथम |

“दो शब्दों “का रहा प्रभाव

वंदे मातरम् – वंदे मातरम् ||

मातृ भूमि की भावना को

प्रज्वलित किये कितने मशाल |

कई पीढियाँ बीत गयी

“दो शब्दों “का रहा प्रभाव कमाल ||

करे मातृ भूमि की वंदना हम

झुके शिश श्रद्धा से , आँखें हो नम् |

रोम रोम से स्वर यही निकले

वंदे मातरम् वंदे मातरम् ||

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राष्ट्रीय प्रेम का गीत है ये

भारतीय धरा की संस्कृत है ये |

एकता और अखंडता का प्रतीक है ये

मिटे ना दिल से जो प्रीत है ये ||

हर समुदाए का गीत है धरोहर

विश्व के सभी प्रेमों से बढ़कर |

हर विवधता में एकता को दर्शाता

“दो शब्दों “से सशक्त राष्ट्र बनाता ||

अजर-अमर रहे तिरंगे की शान

शौर्य पराक्रम इसका मान ||

“दो शब्दों” के गीत पर

कितने बलिदानी हो गए बलिदान ||

करे वंदना मातृ भूमि की

हमसब भारतीय  भारत हमारा घर |

कोई जाती कोई हो बंधन

एक सूत्र में बंधे नारी और नर ||

ये गीत गुणों का सागर है

इसकी हर पंक्ति महान |

अपने में गुढ़-रहस्य समेटे

आओ करे इसका गुण-गान ||

हर चौराहा हर गालियाँ गूजें

वंदे मातरम् वंदे मातरम् ,

हर फूल हर कलियाँ गूंजे

वंदे मातरम् वंदे मातरम् ,

कई पीढियाँ बीत जाएंगी

कहते वंदे मातरम् वंदे मातरम्  ||

खुद से लें हम आज संकल्प

रखे हाथ छाती पे और आँखें हो नम ||

राह में आए कोई भी अडचन

जपे हमेशा वंदे मातरम् वंदे मातरम् ||

ऋतु दीक्षित

अस्वीकृति :- उपरोक्त रचना “श्रीमती ऋतु दीक्षित” द्वारा लिखित है, जिसके लिए वह पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। किसी भी प्रकार की साहित्यिक चोरी के लिए संस्था एवं पदाधिकारी का कोई दोष नहीं हैं। हमारा प्रिय पाठकों से अनुरोध है कि कृप्या हमें कमेंट करके अवश्य बताएं कि आपको यह रचना कैसी लगी।

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