कविता शीर्षक – तिरंगा मेरी शान….
अपने तिरंगे पर मुझे इसलिए अभिमान है।
मेरे भारत देश की बस एक यही पहचान है।।
हिंदी रक्षक हिन्दू हूँ, मैं हिंदुस्तान का रहवासी।
जहां बहती पवित्र गंगा और तीर्थ मथुरा काशी।
हर भाषा और सभ्यता का होता यहां सम्मान है…
मेरे भारत देश की बस एक यही पहचान है।।
भारत देश की अखण्डता का परचम लहराए।
देश का हर एक युवा अब विवेकानंद बन जाये।
भाईचारा और एकता दिखती यहां समान है…
मेरे भारत देश की बस एक यही पहचान है।।
भारतीय संस्कृति और धर्म का भारत मे इतिहास है।
रामराज्य अब शुरू हुआ तो खत्म हुआ बनवास है।।
मन स्वच्छ, तन स्वच्छ अब स्वच्छ भारत अभियान है…
मेरे भारत देश की बस एक यही पहचान है।।
– सपना अमित मिश्रा
अस्वीकृति :- उपरोक्त रचना “श्रीमती सपना अमित मिश्रा ” द्वारा लिखित है, जिसके लिए वह पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। किसी भी प्रकार की साहित्यिक चोरी के लिए संस्था एवं पदाधिकारी का कोई दोष नहीं हैं। हमारा प्रिय पाठकों से अनुरोध है कि कृप्या हमें कमेंट करके अवश्य बताएं कि आपको यह रचना कैसी लगी।