कविता शीर्षक – वंदेमातरम्
इस धरा को करें प्रणाम,
आसमान को करें सलाम,
वन्दे मातरम् हम गाएँ ,
भारत का मान बढाएँ ,
वंदे मातरम् वंदे मातरम्….
इसके वन चंदन चंदन ,
करते हम इसका वंदन,
हिमालय मस्तक की रोली,
हिंदी यहाँ की मीठी बोली,
वंदे मातरम् वंदे मातरम्…..
सौंधी यहाँ चूल्हे की रोटी ,
लहराए तिरंगा ऊँची चोटी,
इसके हर त्योहार निराले ,
हर घर माटी दीप जला ले,
वंदे मातरम् वंदे मातरम्…..
इसके बाग बगीचे न्यारे ,
ओ रंग-बिरंगे परिंदे गा रे,
जी लूँगा या कि मर जाऊँ,
इस पर जान भेंट चढाऊँ
वंदे मातरम् वंदे मातरम्….
धूप सुनहरी चिडियों वाली,
साँझ यहाँ बैलों की गाड़ी ,
गेहूँ की लहराए बाली ,
खेतों में हरियाली हरियाली,
वंदे मातरम् वंदे मातरम्….
वह जो इसके दीवाने थे,
आजादी के परवाने थे,
लहू से इसकी रंग गए मिट्टी,
नाम देश के लिख गए चिट्टी,
वंदे मातरम् वंदे मातरम्…..
आपस में भेद ना करना ,
देश मेरा सहेज के रखना,
सिर पहन केसरिया बाना,
आन की खातिर मिट जाना,
वंदे मातरम् वंदे मातरम्……