कविता शीर्षक – वन्देमातरम
गीत वंदे मातरम था आजादी के परवानों का।
था यह क्रांतिकारी गीत बंकिम चंद्र चटर्जी की लेखनी का।।
जोश भरा था लोगों में इसने आजादी की लड़ाई में।
7 नवंबर 1876 मैं इस अमर गीत की हुई थी रचना।।
राष्ट्रगीत का दर्जा पाया सन उन्नीस सौ पांच में।
गुरुदेव टैगोर ने भी गाया वंदे मातरम कोलकाता अधिवेशन में।।
वंदे मातरम वंदे मातरम अंतिम शब्द थे मातंगिनी हाजरा के।
हंसते हंसते शहीद हुई थी वह जो अंग्रेजों की गोली से।।
युवा पुरुष और महिलाएं उत्साहित हुए इस देश भक्ति गीत से।
होगा यह बंगाल का गान घोषित किया था अरविंद घोष ने।।
गाया गया था सगर्व इसे कांग्रेस के अधिवेशन में।
सर्वाधिक लोकप्रिय गीत है अब यह संपूर्ण विश्व में।।
भावानंद सन्यासी ने सर्वप्रथम गाया था इस गीत को।
एक मिनट पांच सेकंड की कुल अवधि होती है इस गीत।।
आज यह गीत है राष्ट्र के आन बान और शान के प्रतीक का।
वंदे मातरम से ही जोश आता है देश के जवानों में।।
– शिशिर देसाई (सनावद, मध्य प्रदेश)