Raghav Writing Solutions Poetry,Competition पढ़िए…..राष्ट्रीय साहित्य प्रतियोगिता 2022 के प्रतिभागी “विशाल कुमार” की कविता…!

पढ़िए…..राष्ट्रीय साहित्य प्रतियोगिता 2022 के प्रतिभागी “विशाल कुमार” की कविता…!


विशाल कुमार vishal kumar raghav writing solutions

शीर्षक“इश्क जिस्मों का बस एक खेल है…. “

इन नादानो को तू समझा खुदा
के ये इश्क नहीं कोई खेल है,
जो खेल लेते जिस्मों के साथ
फिर कहते हमारा नहीं कोई मेल है।

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ऐ लड़कों जरा तुम शर्म करो
इश्क करते हो तो इश्क ऐसे करो,
न हो बदनाम गलियों में किसी की बहन बेटी
वो जानती गर अंजाम दिल लगाने का तो;
दिल लगाने से पहले वो अपने हाथ जोड़ लेती।

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न करती वो यकीन तुमपर इतना
जाकर अपनो के खिलाफ,
उसकी इज्जत सारे आम कर
तुम दोगले रखते हो कैसा हिजाब।

देकर नाम इश्क का कितनों ने अपनी हवस बुझाई है
इसमें गलती नहीं सिर्फ लड़के की,
लड़की ने भी सहमति जताई है।
दुपट्टा होता नहीं अब सीने पर होती है जैसे गर्दन में कोई
रस्सी लटकाई है,
तुम मरती हो लटककर इसी फंदे में अपने
ये बात आज तुम जान लो,
आखें खोलो इश्क को समझो ये जिस्मों का खेल है
ये बात आज तुम मान लो।

किसने क्या पहना है क्या नहीं
ये पहनावे की बस अब बात नहीं,
मर्द को चाहिए बस जिस्म तुम्हारा
आती समझ में तुम्हारी इतनी सी बात नहीं।

खुदको समझती हो लड़कियों न जाने क्या
गंदी हरकतों को जिस तरह तुम करती नजरंदाज हो,
फिर कोई क्यों न छेड़े तुमको बीच बाजार
आखिर जब सहने को तुम सब तैयार हो।
इसमें जितनी लडको की गलती है
“इश्क में हुई बरबादी का”
लड़कियों तुम खुद भी उतनी ही जिम्मेदार हो ।

विशाल कुमार

Disclaimer : उपरोक्त कविता युवा लेखक “विशाल कुमार (Vishal Kumar)” द्वारा लिखी गई हैं, जिसके लिए वह पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं। हमें आशा है कि आपको यह कविता पसंद आएगी। कृपया हमें कमेंट करके अवश्य बताएं कि आपको ये रचना कैसी लगी….!

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